भारत की महानता || भारत के प्राचीन समय में हुयी खोजे
भारत एक ऐसा देश है जिसने दुनिया को गिनती सिखाई, भारत एक ऐसा देश है जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, भारत एक ऐसा देश है जिसमे बहुत सारी खोजे ईशा पूर्व से पहले की जा चुकी थी, लेकिन आज भी अधिकतर लोग ये जानते है की भारत में आज तक किसी भी चीज की खोज नहीं हुयी है लेकिन ये बिल्कूल भी सही नहीं है क्योंकि भारत के अगर इतिहास के पन्नो को पलटकर देखा जाये तो आप पायेंगे की भारत कितना खोज करता रहा है आखिर भारत का विश्व निर्माण में क्या भूमिका रही अगर भारत न होता तो पूरी दुनिया कहाँ होती। आधुनिक युग में बहुत साडी खोजे हुयी है लेकिन अगर आप भारत के इतिहास के पन्नो को पलटकर देखेंगे तो आप पाएंगे की वो खोजे तो भारत में पहले से ही हो चुकी थी लेकिन फिर भी दुनिया भारत को छोड़कर बाकि देशों का गुडगान करती है तो दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम भी इसी विषय पर चर्चा करेंगे की भारत में अभी तक कितनी खोजे की जा चुकी है और अगर खोजे न होती तो दुनी बहुत पीछे होती
जीरो का खोज
दोस्तों ये तो आप सभी को पता होगा ही जीरो की खोज हमारे ही देश भारत में ही श्री आचार्य आर्याभट्ट जी द्वरा पांचवी सताव्दी में की गयी थी जीरो कुछ न होकर भी बहुत कुछ है अगर आज जीरो की खोज न हुयी होती तो दुनिया चाँद पर न पहुँचती और न ही प्रथ्वी और सूरज की दुरी का ज्ञान होता और नहीं हम Computer जैसे आधुनिक उपकरणों की कल्पना कर सकते थे क्योंकि Computer तो भाषा में दो ही शब्द होते है जिनमे से एक तो हमारा जीरो ही है जिसे हमारे आर्यभट्ट जी ने खोजा था
अगर जीरो की खोज आर्यभट्ट जी ने पांचवी सताव्दी में की थी तो रावण के 10 सिर और कौरवो के 100 होने की गिनती कैसे की गयी ?
कई ,लोगो के मन में सवाल आता है की जब आर्यभट्ट जी ने जीरो की खोज पांचवी सताब्दी ने की गयी फिर रावण के 10 सर थे इसकी गिनती कैसे की गयी और कौरव 100 थे इसकी गिनती कैसे की गयी तो इसका बहुत ही आसन सा जवाब है की जब रामायण को लिखा गया था तब जीरो की खोज नहीं हुयी थी लेकिन आपको बता दे की रावण के 10 सिरों की गिनती रामायण में शब्दों में लिखी गयी थी न की अंको में और जीरो ( 0 ) एक अंक है ठीक उसी प्रकार महाभारत में भी कौरवों की संख्या को शतम् बताया गया है जिसका हिंदी में मतलब होता है सौ बस यही था इसका जवाब
रॉकेट का अविष्कार किसने लिया था || भारत में रॉकेट का अविष्कार किसने किया ?
हमें बताया जाता है की रॉकेट को 16 मार्च 1926 को अमेरिका के प्रोफेसर और वज्ञानिक Robert Hutchings Goddard द्वारा बनाया गया था लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे की इससे पहेले भी भारत में टीपू सुल्तान ने रॉकेट को बनाया था इसलिए उन्हें रॉकेट मैंन भी कहा जाता है उन्होंने जो रॉकेट बनाये थे वो दिवाली के रॉकेट से थोड़े से बड़े होते थे जिन्हें वो अपने युध लड़ने के लिए इस्तेमाल करते थे ये रॉकेट 2 किलो मीटर तक वार कर सकते थे 18 वीं सताब्दी के अंत में अंग्रेज इन रॉकेटो को अपने साथ ले गए थे और आज भी ये रॉकेट लन्दन के मशहूर म्यूज़ियम में रखे हुए हैं और टीपू सुलतान द्वारा बनाये गए इन रॉकेटो ने ही आज के आधुनिक रॉकेट की नीव रखी थी
सर्जरी और ऑपरेशन की खोज भारत में हुयी थी
दोस्तों अगर आपके मन में सवाल है की सर्जरी की खोज कहा पर हुयी थी तो उसका जवाब है भारत जी है हमारे हो देश में सबसे पहले सर्जरी की खोज हुयी थी पहले के समय में चिकित्सक सुश्रुत हमारे देश के जाने मने सर्जन मने जाते थे उन्होंने एक किताब भी लिखी थी जिसका नाम है सुश्रुत सहिंता था चिकित्सक सुश्रुत को सर्जरी का जनक भी कहा जाता है लगभग 2500 साल पहले से ही भारत में नाक की सर्जरी की सुरुआत हो चुकी थी सुश्रुत सहिंता में 43 तरह की अलग अलग सर्जरी का उलेख देखने को मिलता है उस समय में 121 के अलग अलग औजारों का प्रयोग करके सर्जरी की जाती थी
कपड़ो की खोज
5000 वर्ष जब पूरी दुनिया जानवरों की खाल से बने हुए कपडे पहनते थे उस समय भारत में रुई से कपडे बनाने की कला का जन्म हो चुकी थी
पहिये का अविष्कार कहाँ हुआ था ?
अगर पहिया न होता तो आप सोच सकते है की मानव जीवन कितना कठिन होता, अगर पहिया न होता तो आज दुनिया में एक भी वाहन न होता कोई भी ट्रेन पटरी पर न चलती कोई भी कार रोड पर न भागती और मानव जीवन इतना आसन न होता ऐसे में सवाल ये आता है की पहिये की खोज किसने की थी वैसे तो दुनिया भर के स्कूल में पड़ाया जाता है की पहिये की खोज सबसे पहेले पोलैंड में हुयी थी लेकिन ये क्योंकि पहिये की खोज सबसे पहले भारत में की गयी थी और इसके भारत में 1000 सबूत भी मौजूद हैं जो हमें ये बताते है की पहिया सबसे पहले भारत में बनाया गया था दुनिया भर की पुस्तकों में पढाया जाता है की पहिये की खोज 3500 वर्ष पहले इराक में हुयी थी उस समय लकड़ी के तख़्त से पहिये को बनाया जाता था लेकिन भारतीय इतिहासकारों का मानना है की सुमेरियन सभियता आज से 5500 वर्ष पहले अस्तित्व में थी और इसी काल में महाभारत भी हुआ था और इसी समय में भारत में पहिये बनाये जाने लगे थे
सूरज और प्रथ्वी की दूरी कितनी है ?
नासा के वैज्ञानिकों ने हाल ही में पता लगाया था की सूरज और प्रथ्वी के बीच की दूरी कितनी है लेकिन क्या आप जानते है की गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा 16 वी सदी में लिखी गयी हनुमान चालीसा में प्रथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का उल्लेख है आब चलिए इसे विस्तार से समझते है
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
ऊपर लिखी हुयी पंक्ति के अनुसार प्रथ्वी और सूरज की दूरी को समझते है
जुग ( जिसे युग भी कहते है ) = 12000 वर्ष के बराबर होता है
एक सहत्र = 1000
एक जोजन ( जिसे योजन भी कहते है ) = 8 मील के बराबर होता है
और सास्कृत में भानु को सूर्य कहा जाता है
अगर हम इसकी गाड़ना करे तो-
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
और एक मील में 1.6 किलोमीटर होता है
96000000 x 1.6 = 153600000 किलोमीटर आएगा
और अगर हम NASA की मने तो सूरज और प्रथ्वी के बीच की दूरी सटीक इतनी ही है
दोस्तों ये थी हमारी आज की पोस्ट अगर आप को भी अपने देश पर गर्व है और आपको ये पोस्ट पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जय हिन्द जय भारत ........,
वन्दे मातरम
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